चलो रंगरेलिया मनाएं, कहां छिपी होली है
बुरा नहीं मानेगी वह, भई आखिर होली है !
अनगिनत रंगों में तेरे मैं ढला हूं जिंदगी, पर
बचा कालिख से बुराई की, आज तो होली है
चाहतों में मैं तुम्हारी कुछ भी बनने से रहा
कुछ तो बनके ही रहूंगा देख लेना, होली है
नया नाम हर रोज़ वह देता आया है मुझे
आज मीठी गाली उसकी, शायद होली है …
नाराज़ ही मुझसे रहा, कहा पर कभी नहीं
क्यों जुबां खुली है आज, याद आया होली है !
21 03 2008 येथे 1:32 सकाळी |
नाराज़ ही मुझसे रहा, कहा पर कभी नहीं
क्यों जुबां खुली है आज, याद आया होली है !
bahut khuub! sach hi to hai holi mein sab maaf hai -aur kahne ki azadi hai.
holi mubaraq ho.
27 10 2009 येथे 12:12 pm |
best literary side i am fan of it
27 10 2009 येथे 11:32 pm |
Glad you liked it, friend… thank you !