नैना

सुख-दुखमें संग दें नैना,जीवनको रंग दें नैना
चेहेरेका गहना नैना, कहलायें चितवन नैना

पहले होते भोले नैना, दुलारसे डोलें  नैना
बात-बात रो लें  नैना,उतावले बांवले नैना

तांक-झांक मोहित नैना,हंस लें-फिसलें नैना
देख उसे मचले नैना,खुशियोंसे नच लें नैना

नित वहीं रुकते नैना,लज्जासे झुकते नैना
सजनासे लागे नैना,जीवनसे भागे चैना

जागे रातोंमें  नैना,जगाये सपनोंमें नैना
प्यारमें चंचल नैना,राह तके अविचल नैना

बिरहामें विवश नैना,दरसनको तरसे नैना
मेघा मनमें बरसे नैना,अंसुवनसे भीगे रैना

कभी वारभी सीखें नैना,अंगारभरे तीखे नैना,
खौल उठे,चीखें  नैना- प्रतिशोधमें रुखे नैना

अधिर नैना मदिर नैना,मनमानी करते नैना
अगवानी करते नैना, निगरानी करते नैना

देते हैं कसमें नैना, रीत रिवाज रसमें नैना
आईना दिलका नैना, हैं किसके बसमें नैना !

2 प्रतिसाद to “नैना”

  1. shrikrishnasamant Says:

    डोळ्याची महती किती सुंदरपणे कवितेत आणि ती सुद्धा हिंदीत. मानलं बुवा.

  2. anonymous Says:

    A beautiful poem

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