( फिल्म ” कभी कभी ” की इस मूल रचनासे जुडी हम सभीकी
भावनाओंकी क्षमा चाहता हूँ ! )
कल नया किस्सा शुरु होगा
कल फिर एक नौजवाँ शहीद होगा,
धूमधामसे बडेसे हॉलमें
मेरे दोस्तका कल ब्याह होगा.
वह मेरी शादीमें नहीं आया
मैं उसकी शादीमें क्यूँ जाऊं ?
उसकी रिसेप्शनके आईस्क्रीमका
मैं एकभी टुकडा क्यूँ खाऊं ?
वह बस एक दिनका दुल्हा है,
एक दिनकी उसकी कहानी है
कुछ दिन दुनिया सुहानी है
आगे तो बस हैरानी है…..
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